Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुक्तक आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार । अच्

मुक्तक 

आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार ।
अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार ।
यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख
देते जाना योग्य को , देखो तुम उपहार ।।

कहतें हैं गुरु जी यहाँ , सुन लो शिष्य महान ।
विद्या धन का मैं करूँ , देखो निशिदिन दान 
रख लो इसको पास में ,  है ये आशीर्वाद -
बदले में देना मुझे , उपहारो सा मान ।।

तुम क्या दोगे अब मुझे , जीने का अधिकार ।
मैं देता हूँ अब तुम्हें , जीवन का आधार ।
देखो चुनकर आज यह , तुम्हें दिलाई जीत-
भूले से देना नही , सुमझ इसे उपहार ।।

हृदय तुम्हारे है भरा , देखो तम अभिमान
मूर्छित जनता है पड़ी , क्या तुम हो नादान ।
सुनो तुम्हारे ही लिए , किए दुवाए लाख-
तुम ही मुँह फेरे खडे़ , कैसे हो भगवान ।।

०२/११/२०२२     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Top मुक्तक 

आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार ।
अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार ।
यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख
देते जाना योग्य को , देखो तुम उपहार ।।

कहतें हैं गुरु जी यहाँ , सुन लो शिष्य महान ।
मुक्तक 

आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार ।
अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार ।
यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख
देते जाना योग्य को , देखो तुम उपहार ।।

कहतें हैं गुरु जी यहाँ , सुन लो शिष्य महान ।
विद्या धन का मैं करूँ , देखो निशिदिन दान 
रख लो इसको पास में ,  है ये आशीर्वाद -
बदले में देना मुझे , उपहारो सा मान ।।

तुम क्या दोगे अब मुझे , जीने का अधिकार ।
मैं देता हूँ अब तुम्हें , जीवन का आधार ।
देखो चुनकर आज यह , तुम्हें दिलाई जीत-
भूले से देना नही , सुमझ इसे उपहार ।।

हृदय तुम्हारे है भरा , देखो तम अभिमान
मूर्छित जनता है पड़ी , क्या तुम हो नादान ।
सुनो तुम्हारे ही लिए , किए दुवाए लाख-
तुम ही मुँह फेरे खडे़ , कैसे हो भगवान ।।

०२/११/२०२२     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Top मुक्तक 

आता नही मुझे कभी , करना दुर्व्यवहार ।
अच्छे घर से हैं मिलें , मुझको भी संस्कार ।
यही सिखाया है मुझे , मातु-पिता ने देख
देते जाना योग्य को , देखो तुम उपहार ।।

कहतें हैं गुरु जी यहाँ , सुन लो शिष्य महान ।