शब्द तंत्र क़ो संवारने से बेहतर होगा कि हम मधु संगीत के सप्त सुरों क़ो अपनी जीवन विणा पर छेड़ना शुरू करें ताकि ग्रंथिया उर की खुले ताकि सरल सरस हास विलास अधरों पर फूटे ताकि ले जा सके हम जीवन तरणी क़ो उस पार.... जहाँ गूँज रहा मुक्ति का संगीत और जहाँ अलापा जा रहा प्रतिक्षित मोक्ष का सप्त स्वर ©Parasram Arora सप्त स्वर