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शहरों में भला शराफ़त का क्या काम है, शराफ़त घुट रह

शहरों में भला शराफ़त का क्या काम है,
शराफ़त घुट रही है,
 कमजोर हो रही है,
 आंखें नम है,
 बस ख़ामोश बड़ी है।
मुझे शहर की जगमगाहट से शिकवा और शिकायत नहीं है..
दो निवालों के लिए जिंदगी मेरी बस उलझ सी गई है!

©#Seema.k*_-sailent_*write@
  #Sheher #सीमाकपूरऔरआजकल