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रोज़ सबेरे, घर से निकलते, रोज़गार की तलाश में... क

रोज़ सबेरे, 
घर से निकलते,
रोज़गार की तलाश में...

काम मिलेगा,
अनाज आएगा,
रहते इसी आश में..

तब तक रहते, 
घर के बूढ़े, बच्चे,
भूख और प्यास में..
😢😢😢

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #Travel 
रोज़ सबेरे, 
घर से निकलते,
रोज़गार की तलाश में...

काम मिलेगा,
अनाज आएगा,
रहते इसी आश में..

#Travel रोज़ सबेरे, घर से निकलते, रोज़गार की तलाश में... काम मिलेगा, अनाज आएगा, रहते इसी आश में.. #Hindi #SAD #दुख #कविता #hindi_poetry #रोजगार #hindisahityasagar

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