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उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। हमको सनम दगाबा

उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। 
हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। 

जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, 
ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। 

एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, 
और उस पर उसका एतराज पसंद है। 

ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, 
एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। 

अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, 
बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। 

क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, 
ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है।

©Ritu Nisha #Apocalypse
उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। 
हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। 

जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, 
ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। 

एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, 
और उस पर उसका एतराज पसंद है। 

ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, 
एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। 

अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, 
बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। 

क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, 
ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है।

©Ritu Nisha #Apocalypse
ritusharma9326

Ritu Nisha

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