ग़ज़ल --------- अब महकते रहो तुम चहकते रहो जुगनुओं की तरह तुम चमकते रहो । बादलों के घने झुण्ड के बीच में दामिनी की तरह तुम दमकते रहो कोई अपनी अदा का भरम पाल ले शोख बन सुर्खियों में सहकते रहो । जब तुम्हारा तुम्हें तुमसे छिनने लगे तब सृजन कर सृजन में बहकते रहो । कह ये गुंजन रहा- दुश्मनों के लिए बनके शोले सदा तुम दहकते रहो । - विजय गुंजन #nojotopatna #nojoto