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ग़ज़ल --------- अब महकते रहो तुम चहकते रहो जुगनुओं क

ग़ज़ल
---------
अब महकते रहो तुम चहकते रहो
जुगनुओं की तरह तुम चमकते रहो ।

बादलों के घने झुण्ड के बीच में
दामिनी की तरह तुम दमकते रहो 

कोई अपनी अदा का भरम पाल ले
शोख बन सुर्खियों में सहकते रहो  ।

जब तुम्हारा तुम्हें तुमसे छिनने लगे
तब सृजन कर सृजन में बहकते रहो ।

कह ये गुंजन रहा- दुश्मनों के लिए
बनके शोले सदा तुम दहकते रहो ।
        - विजय गुंजन #nojotopatna
#nojoto
ग़ज़ल
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अब महकते रहो तुम चहकते रहो
जुगनुओं की तरह तुम चमकते रहो ।

बादलों के घने झुण्ड के बीच में
दामिनी की तरह तुम दमकते रहो 

कोई अपनी अदा का भरम पाल ले
शोख बन सुर्खियों में सहकते रहो  ।

जब तुम्हारा तुम्हें तुमसे छिनने लगे
तब सृजन कर सृजन में बहकते रहो ।

कह ये गुंजन रहा- दुश्मनों के लिए
बनके शोले सदा तुम दहकते रहो ।
        - विजय गुंजन #nojotopatna
#nojoto