मेरी मुलाक़ात कुछ अपनों से दुबारा हुई, किसी ने कहा बड़े बेरुखे हो गए हो तुम, किसी ने मेरी अवस्था पर सवाल किया, पर किसी ने यह नहीं कहा कि बड़े दिनों बाद मिले हो तुम।। ये वही अपने हैं, जो कभी कहते थे, तेरे लिए महफिल सजा देंगे, हाँ तो करो तुम। महफ़िल तो दूर कि बात है, आज किसी ने पूछा तक नहीं, कैसे हो तुम।। तुम्हें अपने गरज के लिए मुझसे अपनापन हुई, और हम समझ बैठे कि सच में अपने हो तुम। कमी तो इसी बात कि खलती है, कोई 'अपना' पूछता भी नहीं, क्या ज़िंदा भी हो तुम? सोचा था मिलेंगे तो ढेर सारी बातें होंगी, मेरे सभी अतरंगी किस्से सुनोगे तुम। उन पलों को पुनः जीवित करेंगे हम, पर यहाँ नौबत इस बात तक आ गई, कौन हो तुम? ©️कृष्ण कांत कुमार #emptiness #closeones #nature