पल्लव की डायरी जलियाँ वाला हत्याकांड गोरो के अत्याचारो का स्मारक है खूनी खेल खेलना ही हुकूमतों की ताकत है जब जब बैशाखी आती है छाती भारतीयों की धधक जाती है राजगुरु अशफाक भगत सिंह की ललकार जलियाँ बाग हत्याकांड की बगावत थी गोरो को विदा किया लेकिन उसके मानस पुत्र आज भी गुलामी बोते है उनके ही कानूनो से जुल्मो की फसल बोते है चौगुनी लगानो से किसान गरीबी ढोते है इतने वर्षों की आजादी मगर हक नही मिल पाता है धरतीपुत्र सड़को पर संग्राम करे तब तब कुचला जाता है जाति धर्म भाषा मे देश बाँटा जाता है दंगो की विसात बिछाकर कौमो को डराया जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" छाती भारतीय धधक जाती है