जीवन क़े पेचीदा तजुर्बो से जो सादगी जानी थी मैंने उसी ने खिजां से लड़ने का और बहारो को वापस लाने का हौसला दिया था मुझे उसी से ख़डी हो सकी ये जीवन क़ि मीनारे और नेस्तनाबूद हुई थी पिछड़ेपन की खाइया कालांतर मे मेरी खुशियों का संवेदी सूचकांक . जीवन क़े उच्चतम बिंदु का संस्पर्श करने मे कामयाब भी हुआ था खुशियों का सूचकांक.......