पल्लव की डायरी किसे गले लगाता,सब आस्तीन के साँप निकले दूध पिलाकर पाला, वो सफोले निकले अगर तकाजा करू ,सब कर्जदार निकलेंगे परवरिश और मुकाम पर पहुँचाने की कितनी फीस भरेंगे मगर हम तमाशा नही करेंगे बदलाव की हवा में कीमत अदा करेगे तन्हाई में खोकर प्रयाश्चित करेगे जमाने भर के लोग अब ,भरम में ना पड़कर औलादों को मांगने की दुआ नही करेंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Merekhyaal