एक जगत सामने खड़ा हैँ प्रत्यक्ष और एक जगत मेरे मन के कोने मे सिमटा हुआ हैँ अदृश्य शिथिल विचलित मेरी काया इन दो संसारो के झूले पर झूल रही हैँ युगो से प्रत्यक्ष और अदृश्य जगत