गीत :- हम रहें घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाए खुलकर ,हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... वह लालच देकर लूट रहा , वह बल से सब कुछ छीन रहा । हम मर जाते हैं किश्तों में , वह अरबों लेकर भाग रहा ।। सुबह-शाम खट-खट टिन-टिन की , आज यही आजादी है । हम रहें घरोंदों में अपने .....। कोई सत्ता धौंस दिखाता , कोई पद अपना बतलाता । एक के ऊपर एक बैठा, पर निचले का ही पिस जाता ।। सब आँखे मूँदें देख रहे , अब आज यही आजादी है अब पड़ती कहाँ जरूरत है ,उन डाकू और लुटेरों की । लूट रहे विभाग सभी यहाँ, बस मौका आते फेरों की ।। यह सब हमने होते देखा , आज यही आजादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... हम रहे घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाएं खुलकर , हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- हम रहें घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाए खुलकर ,हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... वह लालच देकर लूट रहा , वह बल से सब कुछ छीन रहा । हम मर जाते हैं किश्तों में , वह अरबों लेकर भाग रहा ।।