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विवाह-संस्कार के समय,कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने

विवाह-संस्कार के समय,कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने,
हाँ,उच्चारण ही,मनन नहीं कह सकती,
क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे,उस दिन नहीं,बहुत छुटपन से,
जब सही अर्थों में ब्याह का अर्थ नहीं जानती थी,
तब से गौरी को शिव की और स्वयं को किसीकी अर्द्धांगिनी ही मानती थी।
Read in caption विवाह की वेदी पर संस्कार के नाम पर,
कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने,
हाँ, उच्चारण ही, मनन नहीं कह सकती,
क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे,
उस दिन नहीं, बहुत छुटपन से,
जब सही अर्थों में ब्याह का अर्थ नहीं जानती थी,
तब से गौरी को शिव की और
स्वयं को किसीकी अर्द्धांगिनी ही मानती थी।
विवाह-संस्कार के समय,कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने,
हाँ,उच्चारण ही,मनन नहीं कह सकती,
क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे,उस दिन नहीं,बहुत छुटपन से,
जब सही अर्थों में ब्याह का अर्थ नहीं जानती थी,
तब से गौरी को शिव की और स्वयं को किसीकी अर्द्धांगिनी ही मानती थी।
Read in caption विवाह की वेदी पर संस्कार के नाम पर,
कुछ वचन उच्चारण किये थे तुमने,
हाँ, उच्चारण ही, मनन नहीं कह सकती,
क्यूंकि मुझे तो आत्मसात थे,
उस दिन नहीं, बहुत छुटपन से,
जब सही अर्थों में ब्याह का अर्थ नहीं जानती थी,
तब से गौरी को शिव की और
स्वयं को किसीकी अर्द्धांगिनी ही मानती थी।