औरत अच्छी लगती है, छः गज की साड़ी में, घर की ठाकुरबाड़ी में, चौराहे पर आईने-सी खड़ी औरत समाज को अच्छी नहीं लगती। Read in caption #औरत अच्छी नहीं लगती# जब, न तो साथ माँगती है, न सहारे के लिए हाथ माँगती है। डरती नहीं, न रोशनी में आने से, न अंधकार घिर जाने से, निकल जाती है अकेले, शाम ढलने के बाद भी। औरत अच्छी नहीं लगती,