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औरत अच्छी लगती है, छः गज की साड़ी में, घर की ठाकुर

औरत अच्छी लगती है,
छः गज की साड़ी में, 
घर की ठाकुरबाड़ी में,
चौराहे पर आईने-सी खड़ी औरत 
समाज को अच्छी नहीं लगती।

Read in caption #औरत अच्छी नहीं लगती#
जब, न तो साथ माँगती है,
न सहारे के लिए हाथ माँगती है।
डरती नहीं, न रोशनी में आने से,
न अंधकार घिर जाने से,
निकल जाती है अकेले,
शाम ढलने के बाद भी।
औरत अच्छी नहीं लगती,
औरत अच्छी लगती है,
छः गज की साड़ी में, 
घर की ठाकुरबाड़ी में,
चौराहे पर आईने-सी खड़ी औरत 
समाज को अच्छी नहीं लगती।

Read in caption #औरत अच्छी नहीं लगती#
जब, न तो साथ माँगती है,
न सहारे के लिए हाथ माँगती है।
डरती नहीं, न रोशनी में आने से,
न अंधकार घिर जाने से,
निकल जाती है अकेले,
शाम ढलने के बाद भी।
औरत अच्छी नहीं लगती,