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मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यत

मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य।


भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं मैं,

जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें।
व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद,
नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं।
धन्य सम्पदा गेह,क्या काम आते हैं,
करें सभी से नेह,बस यही जाते हैं।
मोह-माया प्रसार,बने यही संसार,
वैर भाव को मार,सब विनय करते हैं।
जीवन रसरी अल्प,व्यर्थ करो ना कल्प।
प्रसिद्ध यह है गल्प,श्रम सब वरते हैं।

©Bharat Bhushan pathak
  #Qala 
मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य।

भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं में,

जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें।
व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद,
नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं।

#Qala मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य। भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं में, जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें। व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद, नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं। #कविता #nojotopoetry #nojotohindi #nojotoquotes #nojotoshayari #chhand #chhandgyaan #mangalmayachhand #anddazebayyaan #nojotountold

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