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सुनो मुझे आबाज़ दो मैं भी इसी भीड़ में हूँ मुझे आबा

सुनो मुझे आबाज़ दो
मैं भी इसी भीड़ में हूँ 
मुझे आबाज़ दो 
मैं तुम्हे देख सकता हूँ 
मैं तुम्हें देख रहा हूँ
क्या ? 
मैं खुद क्यो नही आ जाता
 बस यूँ ही
मैं बिन बुलाए आना नही चाहता
ऐसा नही है कि मैं आना नहीं चाहता
बस तुम्हारे बुलाने की प्रतीक्षा में खड़ा हूँ
बस थोड़ी सी मनमानी चाहता हूं 
थोड़ा अड़ियल थोड़ा जिद्दी बनना चाहता हूं
समझौता बस अब सहा नही जाता
अच्छे बनने का ढोंग अब करा नही जाता
मैं लड़ना चाहता हूं तुमसे 
तुम मुझे आबाज़ दो
अब ये मुखोटा मुझे पसन्द नही आता 
बड़ी वेदना में हूँ ,
क्यो कुछ कहा नही जाता ? सुनो मुझे आबाज़ दो
मैं भी इसी भीड़ में हूँ 
मुझे आबाज़ दो 
मैं तुम्हे देख सकता हूँ 
मैं तुम्हें देख रहा हूँ
क्या ? 
मैं खुद क्यो नही आ जाता
 बस यूँ ही
सुनो मुझे आबाज़ दो
मैं भी इसी भीड़ में हूँ 
मुझे आबाज़ दो 
मैं तुम्हे देख सकता हूँ 
मैं तुम्हें देख रहा हूँ
क्या ? 
मैं खुद क्यो नही आ जाता
 बस यूँ ही
मैं बिन बुलाए आना नही चाहता
ऐसा नही है कि मैं आना नहीं चाहता
बस तुम्हारे बुलाने की प्रतीक्षा में खड़ा हूँ
बस थोड़ी सी मनमानी चाहता हूं 
थोड़ा अड़ियल थोड़ा जिद्दी बनना चाहता हूं
समझौता बस अब सहा नही जाता
अच्छे बनने का ढोंग अब करा नही जाता
मैं लड़ना चाहता हूं तुमसे 
तुम मुझे आबाज़ दो
अब ये मुखोटा मुझे पसन्द नही आता 
बड़ी वेदना में हूँ ,
क्यो कुछ कहा नही जाता ? सुनो मुझे आबाज़ दो
मैं भी इसी भीड़ में हूँ 
मुझे आबाज़ दो 
मैं तुम्हे देख सकता हूँ 
मैं तुम्हें देख रहा हूँ
क्या ? 
मैं खुद क्यो नही आ जाता
 बस यूँ ही