मैं उर की पीड़ा सह न सकूँ, कुछ कहना चाहूँ, कह न सकूँ, ज्वाला बनकर भी रह न सकूँ, आँसू बनकर भी बह न सकूँ। तू चाहे तो रोगी कह ले, या मतवाला जोगी कह ले, मैं तुझे याद करते-करते , अपना भी होश भुला बैठा। तुझसे प्रीत लगा बैठा। तुझसे प्रीत लगा बैठा।। । ©Arpit Mishra #standout