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White जैसे-जैसे सूर्य अपने चरम पर पहुँचता है, अस्त

White जैसे-जैसे सूर्य अपने चरम पर पहुँचता है, अस्तित्व के हरे-भरे चित्रपट पर एक गर्म चमक बिखेरता है, भाई-बहनों के बीच का सहजीवी बंधन एक दुर्लभ, उत्तम वनस्पति की तरह खिलता है, जिसे प्रेम और भक्ति की दिव्य लय द्वारा पोषित किया जाता है।

जैसे विशाल नदियाँ स्थलीय परिदृश्य से होकर बहती हैं, हमारी आत्माओं की स्थलाकृति को आकार देती हैं, वैसे ही राखी के पवित्र धागे भाईचारे के स्नेह की एक अदम्य कहानी बुनते हैं, जो हमेशा के लिए भाइयों और बहनों की नियति को जोड़ते हैं। 

बहन की मुस्कान, भोर की पहली लालिमा की तरह, उसके भाई के चेहरे को रोशन करे, जैसे राखी, अटूट प्रतिबद्धता का एक ताबीज, उसकी कलाई को सजाती है, जो उनके बीच साझा किए गए शाश्वत, अटूट बंधन का प्रतीक है। और इस बंधन के सुप्रतिम "रक्षाबंधन" के प्रतीक को मेरी तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! 🙏🥰
            - अभिषेक यादव

©Abhishek Yadav #raksha_bandhan_2024  आज का विचार सुप्रभात
White जैसे-जैसे सूर्य अपने चरम पर पहुँचता है, अस्तित्व के हरे-भरे चित्रपट पर एक गर्म चमक बिखेरता है, भाई-बहनों के बीच का सहजीवी बंधन एक दुर्लभ, उत्तम वनस्पति की तरह खिलता है, जिसे प्रेम और भक्ति की दिव्य लय द्वारा पोषित किया जाता है।

जैसे विशाल नदियाँ स्थलीय परिदृश्य से होकर बहती हैं, हमारी आत्माओं की स्थलाकृति को आकार देती हैं, वैसे ही राखी के पवित्र धागे भाईचारे के स्नेह की एक अदम्य कहानी बुनते हैं, जो हमेशा के लिए भाइयों और बहनों की नियति को जोड़ते हैं। 

बहन की मुस्कान, भोर की पहली लालिमा की तरह, उसके भाई के चेहरे को रोशन करे, जैसे राखी, अटूट प्रतिबद्धता का एक ताबीज, उसकी कलाई को सजाती है, जो उनके बीच साझा किए गए शाश्वत, अटूट बंधन का प्रतीक है। और इस बंधन के सुप्रतिम "रक्षाबंधन" के प्रतीक को मेरी तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! 🙏🥰
            - अभिषेक यादव

©Abhishek Yadav #raksha_bandhan_2024  आज का विचार सुप्रभात