अक्सर सवालों के जबाब ढूंढते-ढूंढते यूँ ही रात गुजर जाती है गुजर जाती है अक्सर यूँ ही हर शाम बिस्तर पर लेटे - लेटे और छत पर टँगे उस पंखे को निहारते आज कल कल्पना रानी मेरे घर नही आती है कलम अक़्सर यूँ ही उंगलियों में घूमते-फिरते सो जाती हैं और यूँ ही धीरे धीरे रात गुजर जाती हैं फिर सुबह के आतें ही सुबह सवाल तो बहुत होते है मगर जबाब कुछ नही होता ✍️रिंकी #नहींहोगा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi