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एक आंख मेरी ना जाने कहा है मुझे देखती है वो चाहे ज

एक आंख मेरी ना जाने कहा है
मुझे देखती है वो चाहे जहां है
मैं खिलता उजड़ता या जमता उखड़ता
वही देखकर तो बताती मुझे है
मैं अच्छा या भद्दा या कमजोर तगड़ा
हर हालत को मेरी उसी ने है पकड़ा
मेरे मन की या मेरे मालिक की है वो
मगर तीसरी आंख निश्चित ही है वो

©दीपेश
  #Likho #इनरVoice