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Autumn गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूँ दर-

Autumn  गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूँ दर-दर खड़ा, जब आज मेरे सामने है रास्ता इतना पड़ा। जब तक न मंज़िल पा सकूँ, तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

©विवेक तिवारी
  #ChalnaHoga