Eid Mubarak हमारी निष्ठाएं विकृति के आगार मे बंधक बनी रही और संवेदनाओ का आश्रय स्थल कभी प्रीती के सेतुः से जुडा ही नहीं हमरे मस्तिष्क का उत्कृष्ट हिस्सा भृष्ट ता के वशीभूत रहा सदैव इसीलिए एकाकीपन और . आंतरिक रिक्तता का. मूल्यांकन कभी हो ही न सका मूल्यांकन........