फ़ज़ाओं में मेरे इश्क़ के क़त्ल का असर ऐसा ख़ुद ख़ुदा सोचे रूह को आराम कहाँ पहुँचे सुन तेरी आवाज़ वसु का दिल धड़कता है टूटे हुए दिल का किस्सा तमाम कहाँ पहुँचे Dr Vassundhara Rai मेरी ग़ज़ल से दो शेर.... फ़ज़ाओं में मेरे इश्क़ के क़त्ल का असर ऐसा ख़ुद ख़ुदा सोचे रूह को आराम कहाँ पहुँचे सुन तेरी आवाज़ वसु का दिल धड़कता है टूटे हुए दिल का किस्सा तमाम कहाँ पहुँचे Dr Vassundhara Rai