गरीब कहता है, मैं भी धनी बनना चाहता हूँ। अमीर ना सही, कम से कम खुशहाल हीं हो लेने दो। अमीरी सिर्फ मखमली चादरों में थोड़ी होती है, जर्ज़र कुटिये में हीं मेरी महल बना लेने दो।। गरीब कहता है, मैं भी हर्षित होना चाहता हूँ। ठहाके ना सही, कम से कम मुस्करा हीं लेने दो। खुशी सिर्फ बड़ी गाड़ियों में थोड़ी होती है, अपने बग्गी पर हीं दुनिया का बोझ उठा लेने दो।। गरीब कहता है, मैं भी राजनीती में आना चाहता हूँ। हुक्मरान ना सही, कम से कम अपनी पहचान हीं बता लेने दो। राजनीती सिर्फ चमक धमक और तख्तापलट में थोड़ी होती है, सज्जनों की तरह अपना भविष्य स्वयं हीं सजा लेने दो।। गरीब कहता है, मैं भी सुरक्षित महसूस करना चाहता हूँ। बड़े काफिले ना सही, अपना अधिकार तो जता लेने दो। सुरक्षा सिर्फ अस्त्र-शस्त्र से हीं थोड़ी होती है, अपनी टोली को किसी आपदा में नष्ट होने से पहले हीं लायक बना लेने दो।। गरीब कहता है, मैं भी गौरवान्वित होना चाहता हूँ। तोपों कि सलामी ना सही, थोड़ी इज़्ज़त तो पा लेने दो। सम्मान सिर्फ मैडलों में थोड़ी होती है, देश की रीढ़ हूँ मैं, अपना इतिहास खुद हीं दर्ज़ करा लेने दो।। ©️krishna kant kumar #Morning #poorheart #nature