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कागज़ सी है रूह मेरी अब कलम सहारा है वो पूछता है

कागज़ सी है रूह मेरी 
अब कलम सहारा है

वो पूछता है झुर्रियां पड़ गई चेहरे पर
अब उसे कोन समझाए
बचपना ज़िद्द में गुजरा
अब तो सिर्फ़ झुर्रियों का ही सहारा है

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  झुर्रियां 






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