हर दर्पण तेरा दर्पण हैँ हर चितवन तेरी चितवन हैँ मै किसी नयन का नीर बनू तुझको ही अर्घ्य चढ़ाता हूं हर क्रीड़ा तेरी क्रीड़ा हैँ हर पीड़ा तेरी पीड़ा हैँ मै कोई खेलू खेल दांव तेरे साथ लगाता हूं हर वाणी तेरी वाणी हैँ हर वीणा तेरी वीणा हैँ मै कोई छेड़ू तान तुझे ही आवाज़ लगाता हूं हर दर्पण तेरा दर्पण हैँ.......