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सुनो, मैं जब जब जिंदगी के पतझड़ से गुज़रू, तुम बसंत

सुनो,
मैं जब जब जिंदगी के पतझड़ से गुज़रू,
तुम बसंत बने रहना,
मैं बिखरने लगूं टूट कर तो,
मुझे अपने प्रेम की फुंवार से
फिर पोषित कर देना,
मैं खिल जाऊँगी और महकूंगी
बसंत में खिले फूलों की तरह.....
तुम बनोगे ना मेरे बसंत....

©Rajni Sardana
  #Sukha #पतझड़ #बसंत