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क्रांतिकारी कविताओं का दुर्भाग्य जो पूंजीवाद, जाति

क्रांतिकारी कविताओं का दुर्भाग्य जो पूंजीवाद, जातिवाद,नस्लभेद, बाल-विवाह, पितृसत्ता से डटकर लड़ी और मासिक धर्म में उलझकर रह गईं।

-दीप भैया

©साहित्य संजीवनी
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