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नेता ******* अनपढ़ की भी चल रही अब,राजनीति गलियार


नेता
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अनपढ़ की भी चल रही अब,राजनीति गलियारों में
डिग्री धारी सब्जी बेचे घर के पास बाजारों में,
सब के घर अंधेरा है,इनके घर उजियारा
अनपढ़ की गिनती होने लगी अब,समाज के कुछ समझदारों में,
भैया भैया कुछ चमचे करते,भैया की जय होती है
मौन है जानता मौन प्रशासन ,जय इनकी होती हजारों में,
डिग्रीधारी की तुलना अब,पढ़े लिखे गवारों में
अनपढ़ की अब चल रही,राजनीति गलियारों में, आईईएस आईपीएस जो बनते है,जूझते हुए सवालों में
नेता बहुतायत भरे पड़े है,जिनकी गिनती गवारों में,
अशोक वर्मा "हमदर्द"

©Ashok Verma "Hamdard"
  नेता

नेता #कविता

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