कई बार चेहरों पर चेहरे, बदलते देखे हैं मैंने, वक्त पड़े पर खोटे सिक्के, चलते देखे हैं मैंने, जरूरी नहीं कि आग लगी हो, तो धुआं उठेगा, बहुत लोग अंदर ही अंदर, जलते देखे हैं मैंने।। ✍✍✍ Ombir Kajal ©Ombir Kajal चेहरों पर चेहरे