पल्लव की डायरी दर्द और पीड़ाओं की इबादते जग में हर सत्ताओ ने पनपा रखी है हथियारों बमो के दम पर गुलाम व्यवस्ताये बना रखी है तितर बितर है मानवता अभावो में जिंदगी सुलगा रखी है लूटपाट और दबंग बनकर हर सियासत व्यापारी जैसे गुणा भाग करती हैं थोप दिये अनगिनत कर,कानूनी बन्धनों में जकड़ती है किया अपराध था यूक्रेनी लोगो का काल का ग्रास बन बैठी हैं जेलेन्सकी के हठ के आगे कैसी त्रासदी झेल बैठी हैं प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #smoked अभावों में जिंदगी सुलगा रखी है #smoked