#नारी । --------- नारी तूम केवल नारी हो, निश्छल हो आज्ञाकारी हो । कुछ भी प्रतिकार नहीं करती हो , कुछ कहती कहाँ केवल सुनती हो । सुबह से शाम तक जिम्मेदारियों के, बोझ तले दबी रहती हो । कितनी ही तकलीफ़ क्यों न हो, स्वभावतः कहाँ किसी से कहती हो ।। कितना समर्पण है तुम्हारे विचारों में , कितनी आस्था है ख़ुद के व्यवहारों में । आदेश कैसा भी हो किसी का , बड़ी ही सरलता से मान लेती हो ।। राजा ने विष दिया पीने को , तुम #मीरा हो गयी । आदेश दिया निकल जाओ , तुम तो#सीता हो गयी ।। श्राप दिया गौतम ऋषि ने, तुम तो#पत्थर बन गयी । पांडवों ने द्यूत क्रीड़ा में हारा तुमको , उस अपराध की सजा तुम्हें मिल गयी।। जीवन में इतनी सहजता, और धैर्य कहाँ से लाती हो । थकान से चूर उदासी में भी, अपनों को देख कैसे मुश्कराती हो ।। #दिवाकर तुम भी तो कुछ करो, कि लोग अब नया विकल्प चुनें । सारी जिंदगी जिसने सिर्फ़ सुना हो, अबसे #तुम_कहो, हम तुम्हें#सुनें ।। #डीसी_त्रिपाठी ©dctripthi #womensday2021