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बुलबुल की तरह मैं, चहकता था कभी। इत्र की तरह मैं,

बुलबुल की तरह मैं, चहकता था कभी।
इत्र की तरह मैं, महकता था कभी।

चंद कतरे शराब की देकर, 
मुझसे मोहब्बत का मतलब पूछते हो।

मेरे नाम से मयखाना, बहकता था कभी।

©KaviRaj Gupta
  #Rose  दोस्ती शायरी

#Rose दोस्ती शायरी

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