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#लिखतीहूँकि पता है! आज बहुत दिनों के बाद काग़ज-क

#लिखतीहूँकि

पता है! 
आज बहुत दिनों के बाद काग़ज-कलम लेकर बैठी
सोचा की कुछ लिखूँगी
तुम्हारे लिए लिखूँगी
तुम्हे मनाने के लिए लिखूँगी।। 
पर ये क्या....... 
यहाँ तो शब्द ही रूठ गए
सारे के सारे..... 
एक साथ........ 
वो सब नाराज़ हो गए ये कहकर कि-

तुम लिखोगी क्या? 

वक़्त.......! 
दो पल भी संग न गया जो

या साथ......! 
महज ख़्वाब बन रह गया जो

या फ़िर वो प्यार......! 
अतीत तक ही सिमट गया जो।। 

कुछ ने कहा कि-
तुम सिर्फ़ उसकी "याद" लिखो
अगर आँशू सूख जाए तो.......

©Pragya Singh
  #pragyasinghwritting 
#pragyasinghthoughts