तेरे सुख और दुख का मैं साझी बन सकता हूं, आप जैसा कहो, वैसा मैं "हा जी" बन सकता हूं। और शाहजहां बनने की ख्वाहिश नहीं है मुझमें मगर , मैं तुम्हारे लिए साथी दशरथ मांझी बन सकता हूं... - वीरा अनजान , ©Bir Bahadur Singh #MountainPeak