वो बेड़ियां बांधने लगीं थी भेदने लगी थी वो मेरे उर को मेरी आत्मा को मैं तोड़ती भी तो कैसे उस जकड़न को जो वर्षो से है बांधे हुए मुझे अनदेखी बंधनो से आदत सी हुई उसकी मैं उसे सहने लगी थी अश्रुये जानती थी पीड़ा मेरे ह्र्दय की कल्पित मन से अब वो कहने लगी थी तू विवश हैं क्यों बेड़ियों ने नही पहना तुझे वर्षो से तू इन बेड़ियो को पहने हुई थी ✍️रिंकी #अंजाम #बेड़ियां #यकदीदी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकफ़ीलिंग्स #यकभाईजान