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तुम- यादों के दीप जलाओ मैं खुद को जलाने निकला हूँ

तुम- यादों के  दीप जलाओ
मैं खुद को जलाने निकला हूँ 
दुनियाँ की इस भीड़ में यारा 
खुद को आजमाने निकला हूँ 
फैल रहा है जो दौर ए नफरत 
मैं उसको  मिटाने निकला हूँ 
बनकर  यारा मैं सच का साथी  
ये दुनियाँ महकाने निकला हूँ 
नहीं पता अंजाम लिखा क्या 
अजी क्या ही मेरी किस्मत है 
पता नहीं क्या हासिल होगा ?
या सब ही बिखर रह जाएगा 
मन में लेकर मैं प्यार मोहब्बत 
कुछ  शहद घोलने निकला हूँ 
तुम होगे लाख शहंशाह यारों 
पर थोड़ी सी  मेरी बात सुनो 
कहता हूँ मैं अब ये भी तुमसे 
थोड़ा बचकर नित यार चलो 
नहीं कोई भी होता है बेचारा 
सब ही  किस्मत से चलते है 
अजी इक वही ऊपरवाला है 
जो सबको ही यार चलता है 
फिर भी कुछ को भ्रम है यारा 
कुछ उनसे ही यारा पलते है

©ANOOP PANDEY
  #दीप 
Sweety mehta
anooppandey2200

ANOOP PANDEY

Gold Star
Super Creator

#दीप Sweety mehta #Thoughts

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