यूँ बदलना वक़्त का, जिंदगी के दरमियां बचपने के नन्हे पाँव का, झुर्रियों तक पहुँचना है तब्दीलियाँ! सुना था दुनिया बनी है, दो शब्दों के साथ मिलने से, अपना-पराया,सुख-दुख,उतार-चढ़ाव, फिर सुकूं से मौत गले लगाना है, तब्दीलियाँ! दर्द का अश्को में,प्यार होना आदतन दिल टूटने पर भी,नज़र से ज़ेहन तक उतरना है, तब्दीलियाँ! है तब्दीलियां फ़िर भी, मै वही इंसा रहा दर्द, इश्क़,शाम,रात,याद,दिल ना बदले, अब बेअसर तब्दीलियाँ!