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हार कर ना बैठ यूं मन मेरे बहुत तप कर ही पकेंगे सपन

हार कर ना बैठ यूं मन मेरे
बहुत तप कर ही पकेंगे सपने मेरे

तू अगर इस तरह ही हार कर बैठा रहा
हाथ से निकल जाएगा वक्त कीमती बड़ा









हरा नहीं सकता तुझे तकलीफ़ भरी मुश्किलों का ज्वर
तेरी उड़ान के पैमाने में ही नापा जाएगा तेरे कद का स्तर

बहुत जरूरी है सोच अपनी लचिली पानी के जैसी रख
जब मिले जैसे मिले पूरा नहीं आधा मिले रास्ता निकल पड़
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  कद का स्तर

कद का स्तर #शायरी

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