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तेरी कैद से खुद को रिहा कर रहा हूँ मैं, ना जाने कौ

तेरी कैद से खुद को रिहा कर रहा हूँ मैं,
ना जाने कौन सी रात आखिरी हो,
तुम्हारा नहीं कजा का इंतजार कर रहा हूँ मैं,
तुम्हें मोहब्बत में शर्तें चाहिए,
इश्क कर रहा था कौन सा व्यापार कर रहा हूँ मैं,
तुझे पाने से पहले ही खोने के वस्वसे हैं,
तभी खुद को तुझसे जुदा कर रहा हूँ मैं,
तुझे अपना बनाने से बेहतर है तू मुस्तकबिल ही रहे,
अब ये ना कहना के गलत कर रहा हूँ मैं,
कब तलक दिल को तस्कीन रखूं मैं,
अब अपने ही दिल से बगावत कर रहा हूँ मैं,
मेरी मोहब्बत का मुशाहिदा जब करोगे,
तो समझोगे के अब तुम्हारी नजरअंदाजी का कफारा कर रहा हूँ मैं,
मेरा रायदा था के तुम समझो मुझे,
तुम्हे इल्म नहीं के अब तक तुम्हे पाने के लिये फाका कर रहा हूँ मैं,

Part 1

©Virat Tomar #Tanhayi #Part1 #मुखलिस #तुम