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जो सुकून तुम्हें सोचने में है
वो सुकून तुम्हें पाने में नही
क्योंकि तुम्हें सोच कर कितना खुद को बेचैन पाते हैं, उतना तुम्हें पा कर महसूस नही कर पाते,
इसे कुछ यूं समझो कोई भूखा, खाना को सोच कर उत्साहित होता है, उतना उत्साहित उसे खा कर नही होता
#समझे#मेरी#जाना
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