#OpenPoetry तू पुतली मेरी आंखों की, मैं काजल तेरी आंखों का,, सजा ले मुझको तू इनमें, बहा पानी से जो चाहे । कि, बन जाऊं मैं तेरे दर की कोरी ख़ाक ही चाहें,, तेरे क़दमों से लग लग कर मैं पा लू स्वर्ग ही सारे । जो पोंछे धूल क़दमों से वो मंज़र मैं कहूं क्या अब तेरे हाथों का वो छूना, ना भुलूं जन्म मैं सारे । #geet #poetry_writing_comptition #shayri #nojoto