दिवाली धनवान के घर दिवाली ,गरीबों का है जेब खाली अमीरजादे जब पटाखे जलाते,गरीब बच्चे बजाते ताली, अमीरों के घर पुआ पकवान,ड्राइफुड और मावा मिष्ठान गरीबों का आज भी पेट है खाली,लेकर गुस्सा पटके थाली, धनवानों के घर दिवाली ,गरीबों का है पेट खाली । आ जा मेरे भाइयों आओ,गरीबों को भी गले लगाओ देखो किसका घर अंधेरा,देवालय समझ एक दीपक जलाओ तन मन धन से करके पूजा,यही है ईश्वर नहीं कोई दूजा, इनको मेवा मिष्ठान खिलाओ,देकर अन्न वस्त्र फुलझरी हाथ में सज धज कर रहो इनके साथ में,चेहरे पर देकर इनके खुशहाली तब मनाओ शुभ दिवाली,भारत की यही है संस्कृति यही है हमारे पुरखों की कृति । अशोक वर्मा "हमदर्द" ©Ashok Verma "Hamdard" दिवाली