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महज़ एक इत्तफाक न था तुमसे मिलना। अजनबी हो कर भी त

महज़ एक इत्तफाक न था तुमसे मिलना।
अजनबी हो कर भी तू अपना सा लगना।

पिछले जन्म का रिसता होगा मेरा तुम्हारा।
अधूरे रिश्ते को निभाने का वादा होगा।

रब ने मुझे तुझसे मिलने को कहा होगा।
अधूरे प्यार को पूरा करने का इशारा होगा।
महज़ एक इत्तफाक न होगा तुमसे मिलना।

सात जन्मों का साथ निभाने का वादा होगा
उन वादों को निभाने का इशारा होगा।
महज़ एक इत्तफाक न होगा तुमसे मिलना।

है मेरी खुशकिस्मती तुम से मिलना।
तुम्हारी बातें करना
खआबो, ख्यालों में रहना।

तुझमें ख़ुद को, ख़ुद में तुझको पाना
महज़ एक इत्तफाक न होगा तुमसे मिलना।

©महज़
  महज़ एक इत्तफाक न था तुमसे मिलना।
mahaz3140272183568

महज़

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महज़ एक इत्तफाक न था तुमसे मिलना। #Shayari

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