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अपनों की इच्छाओं को बस पूरा करना है, खुद के शौक को

अपनों की इच्छाओं को बस पूरा करना है,
खुद के शौक को तो कब का भूल गया हूँ। 
शायद पहले मैं नालायक था,
पर अब लायक बनने पर तूल गया हूँ।।

अब वक़्त नही है खुद के लिए,
बस जिम्मेदारियों का ताना बाना है। 
खुद के गम को कोई पढ़ ना पाए,
इसलिए मुस्कुराहट से उसे छुपाना है।।

अब जान गया मैं वक़्त की कीमत,
और जिंदगी में एक दम सा घुल गया हूँ,
शायद पहले मैं नालायक था,
पर अब लायक बनने पर तूल गया हूँ।।

©राजेश तिवारी "रंजन"
  अब लायक बनने पर तूल गया हूँ।।

अब लायक बनने पर तूल गया हूँ।। #शायरी

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