विशाल आसमां सा गहरा हूँ मैं सुलझा हूँ बहुत कहा , कह रहा हूं ? अंधेरे सी कालिमा छाई रहती है अक्सर मेरे चारो तरफ मैं प्रभात की किरणों सा बनकर अब तक रह रहा हूं तलाब में मछली बन कर जी रहा लेकिन मैं तालाब सा ठहरा नही मैं बह रहा हूं मैं समुंद्र सा खारा हूँ तो क्या हुआ नमक बन कर मैं तुममें वर्षो से रहा हूँ समझ सको तो समझ लो मैं नीले आसमां सा गहरा हूँ ✍️रिंकी #आकाशहोनाहै #यकदीदी #यकबाबा