कभी करीब आ, सच्चाई की गहराई में उतर तो सही, हर खामोशी के भीतर छुपे तूफ़ान को समझ तो सही। कभी सलीके से सुन, दिल की धड़कन की आवाज़, मेरा हाल-ए-दिल पढ़, मेरी रूह को जान तो सही। ©नवनीत ठाकुर कभी करीब आ, सच्चाई की गहराई में उतर तो सही, हर खामोशी के भीतर छुपे तूफ़ान को समझ तो सही। कभी सलीके से सुन, दिल की धड़कन की आवाज़, मेरा हाल-ए-दिल पढ़, मेरी रूह को जान तो सही।