कहानियों सा किताबों में कुछ हिस्सा मेरा भी छपा होगा जहां हर पहलू तकदीर का मुझ से खफा होगा धूप में छाव सा कुछ मुझ पर भी बिखरा होगा उसकी इबादतों से एक नूर मुझ में भी निखरा होगा कुछ हिस्सा उसकी रहमतों का मुझ पर भी बरसा होगा छोड़ गया था जो दोराहे पर मुझे वो दरवाज़े पर ज़ार ज़ार मेरे लिए तरसा होगा मुझे खोने के बाद उसने कुछ सबसे अजीज खोया होगा सोने से पहले वो मेरे लिए हर रात रोया होगा कभी खामोशियों में तो कभी लफ़्ज़ों मैं संजोया होगा उसने मुझे अपनी हर बात में छुपाया होगा नामुमकिन सी कहानी को उसने मुमकिन बनाया होगा शायद मेरे बिन भी उसने मुझ से इश्क़ निभाया होगा कहानियों सा कुछ हिस्सा मेरा भी छपा होगा❤️🙈