गीत :- चर्चा जिनका रूका नहीं था , रसिया और जपान में । उनकी गाथा कौन छुपाए , बोलो हिन्दुस्तान में ।। चर्चा जिनका रुका नहीं था.... गर्म खून के नेता थे वह , दुश्मन के वह काल थे । नहीं हाथ से दुश्मन जाता , ऐसे बुनते जाल थे ।। ऐसे नेता कहाँ मिलेंगे , खोजो फिर इंसान में । चर्चा जिनका रुका नहीं था... आहट पाकर भाग रहे थे , दुश्मन जब मैदान से । पीछे उनके हिन्द फौज थी , जिसमें सब हनुमान से ।। ऐसे लगते थे सुभाष जी , जैसे वे भगवान में । चर्चा जिनका रुका नहीं था ..... गूँज रहा था गली-गली में , नारा फिर वह खून का । आजादी के संग सभी को , रोटी दूँ दो जून का ।। ऐसे नेक हृदय का नेता , आया हिन्दस्तान में । चर्चा जिनका रुका नहीं था ..... चर्चा जिनका रूका नहीं था , रसिया और जपान में । उनकी गाथा कौन छुपाए , बोलो हिन्दुस्तान में ।। २३/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- चर्चा जिनका रूका नहीं था , रसिया और जपान में । उनकी गाथा कौन छुपाए , बोलो हिन्दुस्तान में ।। चर्चा जिनका रुका नहीं था....