जोर जवरिया मत कर कान्हा बहुत पड़ेगा भारी, मै डूबी बैठी श्याम रंग में, मारी तूने भर लाल रंग से पिचकारी मुझको कहते वृषभानु किशोरी,बरसाने की नटखट छोरी, तू है छलिया नंदबाबा का,में बरसाने की अद्भुत गोरी, तुम हो कान्हा श्याम रंग के,चढ़े ना दूजा रंग, तन मन में सब रंग दूंगी लाल करूं सबअंग, सबने समझा राधिका भोली है, अब बच ले मेरे श्याम आज बरसाने कि होली है, बच के रहना श्याम,